“अमर रहे गणतंत्र” (26 जनवरी 2024 पर विशेष)
बनी रहे गरिमा भारत की,
महिमा रहे अक्षुण्ण,
सर्वधर्म, समभाव, सरस हो,
रहे न कोई क्षुब्ध।।
बसते राम, सभी के उर मेँ,
कोई न हो परतन्त्र।
न्याय व्यवस्था उच्च कोटि की,
धन्य प्रजा का तन्त्र।।
वेद, उपनिषद, प्राण हमारे,
गीता जीवनयन्त्र।
ज्ञान और विज्ञान, प्रबल हों,
विश्वगुरु का मन्त्र।।
प्रतिभाएँ, प्रतिदिन निखरेँ,
पथ ऐसा करें प्रशस्त।
“आशा” जनित, दीप्ति चमके,
नैराश्य सदा हो पस्त ।।
बना रहे सद्भाव, सदा,
समता मूलक हो तन्त्र।
सँविधान अद्वितीय हमारा,
अमर रहे गणतंत्र..!
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