“अमरूद की महिमा…”
स्रोत, विटामिन सी का अप्रतिम,
लौह तत्व भरपूर।
ख़ून बनाए, जोश बढ़ाए,
अपच, क़ब्ज़, काफ़ूर।।
भून, काट कर, नमक बुरक कर,
खाना भी मशहूर।
दूर भगाए, खाँसी-सर्दी,
पर ना तनिक ग़ुरूर।।
कान्ति त्वचा की बढ़ती जाए,
रुख़ से टपके नूर।
दादी भी इतरातीँ अब तो,
ज्यों जन्नत की हूर।।
इम्यूनिटी बढ़ जाए सभी की,
राजा या मजदूर।
उर उल्लास, उमँग,
नचाते,मन मदमस्त मयूर।।
नित्य निरन्तर, नयी ताज़गी,
तनिक न मन मजबूर।
बाबा खा कर दौड़ लगाते,
अब दिल्ली नहिँ दूर।।
ईश जगाते “आशा”
अद्भुत, क़ुदरत की करतूत।
वही जवानी, वापस लाने,
आया है अमरूद..!
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