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8 Jan 2023 · 1 min read

अभी दो सांस बाकी है

***** अभी दो सांस बाकी हैं *****
*****************************

चलें आओ अभी दो सांस बाकी है,
प्रेम की फंसी गले में फांस बाकी है।

खुली कब से दोनों बाहें मेरी यूँ ही,
मिलने की छोटी सी आस बाकी है।

लूटी खुशियाँ जुदाई ने हमारी सब,
फिर भी मुख पर उल्लास बाकी है।

हुई हैं चूर हड्डियां बदन मे ही सारी,
सूखे से तन पर कुछ मांस बाकी है।

हुए हो दूर हम से तुम तो मनसीरत,
मिल न सकेंगे हम वनवास बाकी है।
***************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
88 Views
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