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16 Aug 2020 · 1 min read

अभिशप्त बीज

अभिशप्त बीज
चिड़िया के चोच से गिरी
दर्रे में सदियों सिसकती रही
इक दिन … पानी मिट्टी मिली
इश्क की सोंधी सी हवा चली
चटक कर बीज टूट गई
बीज से अंकुर फूट गई
पत्थर के सीने पे इक फूल उगा
सन्नाटे के घर में प्यार बोल उठा
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 453 Views
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