अभिव्यक्ति
एक लेख…….,,
कभी इसका दिल रखा और कभी उसका दिल रखा।
इसी कशमकश में भूल गए कहाँ खुद-का दिल रखा।।
अहसान एक ऐसा कर्म था जिससे तले दबते रहे हम।
बस इसी दबन की हद में खुद ही से चुभते रहे हम।।
इसी चुभन की हद से एक दिन घबरा कर चले जाएंगे।
जमाने वालो तुमको तब बहुत ही ज्यादा याद आएंगे ।।
कान्हा…………✍