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11 Jul 2020 · 1 min read

अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति,
मैं तुमसे अक्सर
उलझ जाता हूँ।

तुम्हे आजादी तो है
बेशक है।
पर कहीं तो हद होगी।

तुम्हारा मुखर होना
और मौन रहना

फिर यकायक बोल उठना
मुझे परेशान रखता है।

माना नजरिया अलग है
पर क्या इतना अलग है?

चलो तय करें कुछ
कायदे कानून
जो बराबर लागू हों,
तुम पर भी
और मुझ पर भी।

किसी की ओर मत देखो
इशारे के लिए
तुम्हे और मुझे ही तय करना है।

आज नही तो
फिर किसी दिन
पत्ते तो दिखाने ही होंगे
तुम्हे भी और मुझे भी।

याद रहे,
दिन भर की उड़ान के बाद
लौटना इसी दरख्त पर है
तुम्हे भी और मुझे भी।

सोचा, फिर बता दूँ!!!

Language: Hindi
4 Likes · 6 Comments · 398 Views
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