अभिव्यक्ति का संत्रास …
अभिव्यक्ति का संत्रास …
वरण किया
आँखों ने
यादों का ताज
पूनम की रात में
होती रही स्रावित
यादें
नैन तटों से
अविरल
तन्हा बरसात में
यादों की वीचियों पर
तैरती रही
परछाईयाँ
देर तक
तन्हा अवसाद में
कर न सके व्यक्त
अधरों से
अन्तस् के
सिसकते जज्बातों की
अव्यक्त अभिव्यक्ति का संत्रास
शाब्दिक अनुवाद में
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
स्वरचित