अभिलाषा
हमें नही चाहिए ऐसी आजादी
जहाँ हम घिनौने वातावरण में पड़े
लगातार होते जा रहे हैं बड़े ,
हमें नही चाहिए ऐसी आजादी
जहाँ अपना मजहब प्रधान है
और मानवता अंतरध्यान है ,
हमें नही चाहिए ऐसी आजादी
जहाँ शिक्षा देकर
सिखाई जाती है ईन्सानियत
बिना सिखाये सीख जाते है हैवानियत ,
हमें नही चाहिए ऐसी आजादी
जहाँ दूरदर्शन ,रेडियो और अखबार को
बताना पड़ता है की हम हैं हिन्दुस्तानी
और मेरा भारत है महान
लेकिन हम इसको भूलने में
दे रहे हैं ध्यान ,
हमें नही चाहिए ऐसी आजादी
जहाँ धर्म और मजहब देख कर
गले मिलने लगें हैं हम
धीरे – धीरे और भी अधिक
सड़ने लगे हैं हम ,
हमें नही चाहिए ऐसी आजादी
जहाँ एक ही घर के भाईयों में लड़ाई हो
और बाहर वाले तमाशाईं हों ,
हमें नही चाहिए ऐसी आजादी
इससे तो हम गुलाम ही अच्छे थे
कम से कम अंग्रेजों को निकालते समय
आपस में तो सच्चे थे ,
हे ईश्वर ! प्रार्थना है मेरी
दिला दो सबको प्यारा वही मुकाम
नही तो किसी का
फिर से बना दो हमें गुलाम ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 25/11/91 )