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13 Jun 2023 · 1 min read

अभिलाषा

अद्भुत ज्ञान, अलौकिक छवि,
सुंदर मन की अभिलाषा ।
निज हृदय प्रेम धारण करके,
सबके उर रहने की आशा ।।१

सम्बन्ध सभी से अच्छा हो,
ना हो ईर्ष्या ना आवेश।
कटु वचन न निकले मुख से,
ना हो घृणा का समावेश ।।२

मनोरथ सदा यह सफल रहे कि,
सद्गुण पथ पर चला करूं ।
मुझसे पीडित ना कोइ जन हो,
सब जीवों का भला करूं ।।३

कर्म मेरा जिस पथ पर हो,
अनुराग उसके प्रति बना रहे।
राग द्वेष से ऊपर उठ कर,
कर्म प्रेम हिय घना रहे ।।४

चाह नही कांचन तिय की,
वह हिय में बसने वाली हो।
उर भाव सुरभि सी बहा करे
तिय हिय पिय धरने वाली हो।। ५

मात पिता गुरू सेवा में,
मन निशदिन रमा रहे।
इनकी भक्ति शिरोधार्य करूं,
पद” पंकज “इनके जहां रहें ।।६

Language: Hindi
266 Views

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