अभिलाषा के पंख फैलाओ
अभिलाषा के पंख फैलाओ कर्मों का विस्तार करो,
स्वेद बिंदुओं से सिंचित कर सपनों को साकार करो।
मिलता उसको तो उतना ही जितना ही वो कर्म किया,
जीवन को समझा है वही जितना जीवन जिसने जिया।
बाधाओं से मत हो व्याकुल बाधाओं का संहार करो,
ये जीवन है क्षणभंगुर इसके क्षण-क्षण में आनंद भरो।