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28 Aug 2023 · 1 min read

अभिमानी

अभिमानी

जनता माटी का मुरत नही
समाज का खुबसुरत है
दस बीस का लिया निर्णय
यह तो बहुत बद सुरत है

जमालेता है रंगमंच समाज
समाज के कुछ ठेकादारो ने
कर देता है लीलाम गर्व को
खुले आम सड़क बाजारों में

जरूरत नही जनता का उनको
मान सम्मान का परवाह नही
एक आंख को अर्जुन दिखत है
रूपए को देखें भगवान सही

अब आदिकाल का महा पाषाण
पानी परत तो घुरत है
जनता कभी माटी का मुरत नही
समाज का खुबसुरत है

जब बिन जनता को साथ लिए
करता है कुछ मनमानी
नाश होवत है एक दिवस को
रावण,दुर्योधन,कंस अभिमानी
कवि
डां विजय कुमार कन्नौजे
अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ

Language: Hindi
2 Likes · 169 Views
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