अभिमन्यु
काश मैं तुझको अपनी उमरिया दे पाता
आँसू जो भी होतें उनको पी जाता
अपनी खुशियाँ तुझको सारी दे जाता
मर के फिर से, लौट के दुनियाँ में आता
सीने से चिपकालो अपनी कहता माँ
लोरी वही पुरानी अपनी गा दो माँ
सारे सपने पूरे अपने, करता माँ
जो तुमने थें नहीं सिखाये
उन्हें अगर जी जाता माँ
छल मक्कारी और प्रपंच
यह दुनिया की रीत थी माँ
तूने मुझको नहीं सिखाएं
क्यों अभिमन्यु बना
मुझको छोड़ा माँ