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3 Dec 2017 · 1 min read

अभिमन्यु

काश मैं तुझको अपनी उमरिया दे पाता
आँसू जो भी होतें उनको पी जाता
अपनी खुशियाँ तुझको सारी दे जाता
मर के फिर से, लौट के दुनियाँ में आता

सीने से चिपकालो अपनी कहता माँ
लोरी वही पुरानी अपनी गा दो माँ

सारे सपने पूरे अपने, करता माँ
जो तुमने थें नहीं सिखाये
उन्हें अगर जी जाता माँ

छल मक्कारी और प्रपंच
यह दुनिया की रीत थी माँ
तूने मुझको नहीं सिखाएं
क्यों अभिमन्यु बना
मुझको छोड़ा माँ

Language: Hindi
245 Views
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