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14 Nov 2019 · 1 min read

अब फ़रियादें घुटेंगी नहीं

अब फ़रियादें घुटेंगी नहीं
अब शब्द अटकेंगे नहीं
सिले होठों को अब चीखना होगा
रुंधे हुए गले को चितकरना होगा
पर्ची चाहे जो भी निकले
‘कहो’ या ‘सुनों’
उसे कहने से पहले सुनना भी होगा
सुन कर फिर कहना भी होगा
क्यूंकि औरत प्रेम और जीवन दोनों की धूरी है…
और ये संभव नहीं की
धूरी बहुत दिनों तक रखी जाय अधूरी है…
… सिद्धार्थ

Language: Hindi
1 Like · 158 Views
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