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17 Aug 2021 · 1 min read

अब हमें अपने उसूलों को बदलना चाहिए।

गज़ल
अब हमें अपने उसूलों को, बदलना चाहिए।
रास्ते खुद ही बनाकर, उन पे चलना चाहिए।

हम न मंजिल पा सके, मंजिल के पहले गिर गये,
गिर गये तो क्या हुआ, गिर कर संभलना चाहिए।

देश-की रक्षा के खातिर, तन औ मन से लड़ रहे,
देश के वीरों को सबको, सजदा करना चाहिए।

छेड़ना छोड़ो धरा को, देख लो संकेत ये,
देश दुनियां को ये अब, जल्दी समझना चाहिए।

मान लो प्रेमी ने पाला, पर जहर कब तक पिएं,
आस्तीनी सापों का भी, सर कुचलना चाहिए।

………✍️ प्रेमी

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