अब लौट आओ ना:- मोहित मिश्रा
अब लौट आओ ना।
बीत रहे जो पल तुम्हारे बिन,
सौ बरस गुज़र रहा एक छिन ,
सुना सा है मन का कोना,
खलता यूँ है तेरा ना होना ,
राह खोजती आँख कह रही,
अब तो और सताओ ना,
अब लौट आओ ना।
उखड़ा उखड़ा मन लगता है,
उजड़ा हर चमन लगता है,
लब पर एक ख़ामोशी सी है,
तन्हाई की सरगोशी सी है,
हँसी होंठ से छूट गयी है,
तू मुझसे जो रूठ गयी है,
जीवन को रेत बनाओ ना,
अब लौट आओ ना।