अब मुश्किल तुझे भूलना
अब मुश्किल तुझे भूलना जब भूल कर बैठे
अब दिल कैसे रोकना जब तुम सर चढ़ बैठे
ना रोना था नैनों को पर नैना तर बैठे
ना करना था याद तुमको याद कर बैठे
तेरे ही आँचल में सकूँ मिलता हमें
आँचल का सहारा छीन बेघर कर बैठे
ना सोचा ना समझा इस चेहरे के पीछे
सारी दुनिया छोड़ तुमसे रिश्ता कर बैठे
तू सनम हरजाई तूने नजरें भी चुरायीं
फिर भी हम इन नजरों के दीदार को बैठे
दिल से मेरे खेला तूने तन्हाईं बढायीं
ना समझा मेरा दर्द गम का साया दे बैठे
होकर तुम खफ़ा हमसे अब इतराओ ना
है तेरी अदा कातिल तो खूनी कह बैठे
“मनोज कुमार”