अब दवाओं में भी वो बात नही
अब दवाओं में भी वो बात नही
अब जख़्म का कोई इलाज़ नही
खुली किताब थी ज़िन्दगी कल तक
बन्द किताब में अब कोई राज़ नहीं
बेरंग है ज़िन्दगी तेरे बिन
ज़िन्दगी में बची वो साज़ नही
हुनर था पहाड़ चीरने का
अब वैसा कोई जबाज़ नही
खिलता था गुलशन कल तक
तुम बिन अब वैसा आज नही
भूपेंद्र रावत
18।12।2017