#अब तो लिखना आ गया मुझे#
अब तो लिखना आ गया मुझे।
अब हर रात पर लिखेंगे,
हर बात पर लिखेंगे।।
अब कोई क्या रोकेगा मुझे?
तुम्हारे साथ पर लिखेंगे,
तुम्हारे हाथ पर लिखेंगे।
हर ताब पर लिखेंगे।
दिल-ए-बेताब पर लिखेंगे।
महकती धुप पर और फिर
भिगीं बरसात पर लिखेंगे।।
चहकते फुलों और महकते खुश्बुओं पर,
हर रंजोगम अपने सनम पर लिखेंगे।
हर ढंग पर,हर रंग पर लिखेंगे।
दाल और भात पर लिखेंगे।
हर मौसम-ए-बारात पर लिखेंगे।।
सर्द पर लिखेंगे।
हर दर्द पर लिखेंगे
आबाद पर लिखेंगे
और बर्बाद पर लिखेंगे।
हर मर्ज़ पर लिखेंगे।
हर फर्ज़ पर लिखेंगे।
हर गुवार,हर गर्द पर लिखेंगे।।
अब कोई क्या रोकेगा मुझे?
हर सवाल हर जबाब पर लिखेंगे।
हर राज़ और हर बाज़ पर लिखेंगे।
हर धर्म और ज़ात पर लिखेंगे।
हर तख्तोताज़ पर लिखेंगे।
तेरी निगाहें शबाबो साज़ पर लिखेंगे।।
अब तो लिखना आ गया मुझे।
अपनी हर कशिश,हर एक द़ाग पर लिखेंगे।
दुर गगन के हर ख्वाब पर लिखेंगे।
बेडि़याँ क्या अब बाँधेगी मुझे।
परिन्दा सरीखा मैं एक”अल्फाज़ी”हूँ
और अल्फाज़ी है ये कलम।
ऐ दिल-ए-नादाँ!अपनी हर एक अल्फाज़,
जिन्दगी के हर सह और मात पर लिखेंगे।
अपनी हर एहसास अपनी महताब पर लिखेंगे।।
अब तो लिखना आ गया मुझे।
अब हर रात पर लिखेंगे,
हर बात पर लिखेंगे।
मौलिक रचनाकार – Nagendra Nath Mahto
27/June/2021
All copyright:- Nagendra Nath Mahto