अब तुझे रोने न दूँगा।
अब तुझे रोने न दूँगा।
छोड़ दे जग साथ तेरा
दुर्दिनों में हाथ तेरा,
दीन, निर्बल, बेसहारा
मैं तुझे होने न दूँगा।
अब तुझे रोने न दूँगा।
राह के चुन शूल सारे
दूँ चमन के फूल सारे,
आँख के मोती विवश
होकर कभी खोने न दूँगा।
अब तुझे रोने न दूँगा।
कर न पाये दर्द आहत
तू रहे खुश एक चाहत,
जिन्दगी को बोझ – सा
होके विवश ढोने न दूँगा।
अब तुझे रोने न दूँगा।
तू मुझे निज पीर दे-दे
अश्रु, दृग के नीर दे-दे,
इन विपद घनघोर के
निष्ठुर चरण धोने न दूँगा।
अब तुझे रोने न दूँगा।
अनिल मिश्र प्रहरी।