अब जाने प्रभु की माया
चाल मिले चार साल चले,
दिल मिले सौ साल ।
अपनी मीठी वाणी से,
वो कर गये हमें निहाल ।।
न जाने उससे कैसे,
ये दिल मिला बेचैन रहा ।
उससे मिलने के लिये,
हर जगह पर मेरा बैन रहा ।।
मैं उसे जी भर कर,
कभी देख न पाया ।
पता नहीं मुझको यारों,
वो मुझसे प्रेम किया करती थी,
या अपना समय करती थी जाया ।।
किसी को मिलती धूप यहाँ पे,
किसी को मिलता छाया ।
हमारी मुलाकातें होंगी भी या नहीं,
अब जाने प्रभु की माया ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 23/01/2021
समय – 10:11 (सुबह)
संपर्क – 9065388391