अब कुछ साधारण हो जाए
अब कुछ साधारण हो जाए ।
कुछ अच्छा और कुछ ऊँचा
करने की उम्मीद ले
हम अपनों को छोड़ आए ।
आज छोटी-छोटी बातों के लिए
हमारा मन तरसाए ॥
अब कुछ साधारण हो जाए ।
आज छोटी-छोटी बातों के लिए
हमारा मन तरसाए ॥
जमीन से उखड़ने का दर्द
एक उखड़ा हुआ पेड़ ही जाने
जब किसी का मन दरचकता है
तो उसका दर्द मन ही जाने॥
अब कुछ साधारण हो जाए ।
ए सी की ठंडी हवाओं ने
सावन की भीगी हवाओं को विसराए।
बड़ी- बड़ी खुशियों की आहट में
हम छोटी- छोटी खुशियाँ भूल गए
चलो! उन छोटी – छोटी खुशियों को ढूँढा जाए॥
अब कुछ साधारण हो जाए ।
मीरा ठाकुर
आबूधाबी, यू. ए. ई.