अब किसी से कोई शिकायत नही रही
अब किसी से कोई शिकायत नही रही
मान लिया सारी गलती सदा हमारी रही
हम ही न न करके भरोसा करते रहे सबका
मन तो हर बार हमें सचेत करता रहा
हम दिमाग को परे रखते रहे सिर्फ खून ही नहीं
दिल के भी रिश्तों को निभाने में
हमे क्या पता था सारे लगे हैं हमें सिर्फ आजमाने में
लगता है सबकी आजमाईश पूरी हो चुकी है
लोग निकल चुके हैं हमारे यहाँ से सामान जुटा कर
अपनी बस्ती बसाने में।।
जाओ तुम सब सदा आबाद रहना
हम किसी को आवाज नही देते ये बात याद रखना
तुम हर उत्सव को खुशी से मनाना
उछलना कूदना नाचना गाना सबके रंग में रंग जाना
लोग तुम्हारे घर आयेंगे बधाई देकर जायेंगे
फिर वहाँ मेरा कोई सामान देखेंगे
देखो तुम शर्मिंदा मत हो जाना
मैंने तुम्हें वो दान दिया है
ये बात किसी को मत बताना।।