अब कष्ट हरो
अब कष्ट हरो
संकट मोचन कष्ट हरो अब,
दुनिया देखो यह बिलख रही।
हे पवन पुत्र मत देर करो अब,
दुनिया सारी पथ है देख रही।
बड़े बड़े राक्षस को कितने ही,
थे चुटकी में ही सबको संहारे।
बजरंगबली कुछ याद करो तुम,
हर युग में सबके काज संवारे।
है आज पड़ी विपदा जगती पर ,
यह धरणी तुमको है पुकार रही।
मानव के कष्ट हरो अब हनुमत
तुम रामदूत अतुलित बल शाली।
सब को तुमसे आस बड़ी मारुती
तेरे द्वार से जाए कोई कब खाली।
महावीर अब सुनिए विनती मेरी
तेरे द्वार पर ये अरजी लगाय रही।
जग वन्दन करता रहता सदा ही
सबको तुम पर विश्वास बहुत है।
हनुमान करो मत देर सुनो अब
मानव को तुमसे आस बहुत है।
बालाजी अपनी शक्ति दिखाओ
कर जोड़े यह धरती पुकार रही।
डाॅ सरला सिंह “स्निग्धा”
दिल्ली