अफसाने
ख़ुद को इतना भी मत बचाया कर,
बारिशें हों तो भीग जाया कर!!
काम ले कुछ हसीन होंठों से,
बातों बातों में मुस्कुराया कर!!
दर्द हीरा है दर्द मोती है,
दर्द आँखों से मत बहाया कर!!
चाँद ला कर कोई नहीं देगा,
अपने चेहरे से जगमगाया कर!!
धूप मायूस लौट जाती है,
छत पे कपड़े सुखाने आया कर!!
घर से बाहर निकल हवाओं में,
ज़ुल्फ़ से ख़ुशबुएँ उड़ाया कर!!
कोई तस्वीर कोई अफ़साना,
कुछ न कुछ रोज़ ही बनाया कर!!
कौन कहता है दिल मिलाने को,
कम से कम हाथ तो मिलाया कर!!
~शकील आज़मी 🍁