अफसाने जिंदगी की…।
एक दिन सुबह जब खिड़की
से मैंने देखा,जिंदगी को हँसती-मुस्कुराती पाता।
मैंने पूछा”ऐ जिंदगी!तू इतनी मुस्कुराती क्यों है?
दर्द से अनजान,पर हमें दर्द देती क्यों है?”
सुनकर जिंदगी करीब आई,
अपने लबों पे मुस्कान लायी।
“मेरी अफसाने तुम समझ क्यों नहीं पाते हो?
मैं बड़ी हसीं हूँ…. यह जान क्यों नहीं पाते हो?
अफसाने जब तुम मेरी लोगे
मैं क्या हूँ… यह जान लोगे”
: Kumar kishan kirti.