अफगानी औरतों के हक में …
छीनना चाहते हो तुम उससे ,
इल्म और तालीम का हक।
तुम्हीं उसका रोजगार करना,
आत्म निर्भर बनना पसंद नही ।
तुम ये भी नहीं चाहते की वो ,
अपनी आजादी से जिंदगी जिए।
तुम्हें उसका अपनी पसंद से,
जीवन साथी चुनना भी गंवारा नहीं ।
तुम्हें क्या लगता है खुदा ने उसे ,
सिर्फ तुम्हारी बांदी बनाकर भेजा है ।
तुम्हारे लिए वो इंसान तो है नहीं ,
एक उपभोग की वस्तु है बस !
तुम्हारे लिए दर्जनों बच्चे पैदा ,
करने वाली एक मशीन है बस!
बड़ी घटिया सोच है तुम्हारी ,
इस सोच को अब बदलना होगा ।
विश्व के देशों ने औरतों के बल पर ,
बहुत विकास हो रहा है ।
तुमने उसे शरीयत कानून की ,
संकीर्ण बेड़ियों से बांध रखा है ।
खुदा की वो खूबसूरत और महान ,
रचना है तुम जैसे वहशी क्या समझेंगे ।
तुम अब इंतजार करो कयामत का ,
तुम्हें तो अब खुदा ही समझेंगे ।