अपेक्षित प्रेम
पुराने किताब के पन्नों में
दबे गुलाब के साथ
गुलाब की हिफाज़त में
कांटे भी सूख जाते हैं
वो रोते नहीं,
वो चुभते नहीं पन्नों को
वो हिफाज़त करते है
दर्द में बिखरी शब्दों से
और गुलाब सूख जाती है
प्रीतम के द्वारा पन्नों के हवाले करने
और पलट कर भी न देखने से
दोनों सूख जाते हैं
अपने अपने प्रेम के द्वारा
अपेक्षित किए जाने से
~ पुर्दिल सिद्धार्थ