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3 Oct 2020 · 1 min read

“अपूर्व अनुभव”

मेरे जीवन का पहला तुम अनुबंध हो,
जन्म से मृत्यु तक का वो संबंध हो।
भूल जाऊं तुम्हे इतनी क्षमता कहाँ,
सांस में जो बसी वो मलय गंध हो ।।

मन की मूरत जो मन ने गढ़ी थी कभी,
भाव ने भंगिमा जो पढ़ी थी कभी।
दृश्य आलोक का जो पटल पर बना,
उस विहंगम मधुर पुष्प की गंध हो।।

चारुता मन की गोपन कथा बन गई,
दृष्टि का पात तन की तपन बन गई।
मिल गई जो नज़र मन मेरा न रहा,
जो न सुलझे वो ऐसी व्यथा बन गई।।

तुम ही अंतस से निकला प्रथम छंद हो,
मेरे जीवन का पहला तुम अनुबंध हो।।

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 3 Comments · 960 Views

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