अपनो बिन प्रकाश न भाए
प्रकाश का मार्ग, अतिसुंदर
देखने मे मनमोहित होता हैं
पर न जाने क्यो मुझे रीतापन सा लगता हैं
चारो और रंगीन लाइटो की चकाचोंध तो है बेशक
पर क्या मानसिक स्थायित्व सी लगती हैं ये सब
अपनो का साथ यदि है तो फिर अंधियारे में भी
प्यार का रंगीन प्रकाश फैला सा प्रतीत होता हैं
अपनो के प्यार की कमी तो प्रकाश में भी खलती हैं
बेहद महत्वपूर्ण होता है अपनो का साथ अपने हाथ
पथरीलरास्ते चलकर ही तो, एक याद बनती हैं
इंसान चलना सीखता अपनेपन की उंगली की
उसे जरूरत होती हैं क्या काम आती हैं बाहरी चकाचोंध
देखने के लिए ही अब अच्छी लसगति हैं पर
अपनो के साथ कि तो बात ही न्यारी होती हैं
लाइट तो भरपूर दिखती हैं पर रीतापन रह जाता हैं
ये शांत माहौल अपनो कर बिना काटने को आता हैं
अपनो के साथ रहे तो अंधेरे में भी उजाला होता हैं
मुझे तो ये प्रकाश काटने को आता हैं
क्या मजा इन इमारतों का जहां कोई भी
अपना से नजर नही आता हैं ये बहुमंजिली इमारत
बस दूर से मन मोहती हैं अंदर सूनापन ही दिखाई देता है
सुनसान सी उजड़ी दी दुनिया नजर आती हैं
अपनेपन की कमी सी दिखाई देती हैं
अपनेपन के साथ अपनो का साथ चाहिए
तो जीवन प्रकाशमय होता हैं
आइए अपनो का साथ दे व
अपनो का साथ ले
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद