– अपनो के बदलते रंग –
– अपनो के बदलते रंग –
बदलते है आजकल रंग यह क्षण,
अपने हो या पराए,
बदले वे ऐसा रंग की गिरगिट भी शर्माए,
गिरगिट भी शरमा जाए,
पर अपनो को लाज शर्म न आए,
अपने अपनो के साथ ही दगाबाजी कर जाए,
अपने ही करते अपनो से छल,
कपटी भावना भरी पड़ी है,
नही रहा पहले जैसा मन,
समय के साथ ही बदल रहा है,
अपनो का भी रंग,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान