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3 May 2024 · 1 min read

अपने

इंसान दुनिया जीतकर भी
अपनों से हार जाता है ,
कभी-कभी अपनों से जीतकर भी
अपने आप से हार जाता है ,

कभी-कभी उसके अपने ही उसकी
हार का कारण होते हैं ,
क्योंकि उसके अपने ही उसके
अन्तस्थ राज़ जानते हैं ,

गैरों के दिए ज़ख़्म वक्त गुजरते
भर जाते हैं ,
पर अपनों के दिए ज़ख़्म वक्त गुज़रते
गहराते हैं ,

इतिहास के पन्ने इसके
गवाह हैं ,
जिसमें अपनों द्वारा छले गए
प्रमाण हैं ,

रावण बुद्धिमान शक्तिशाली होते हुए भी
मारा गया ,
पृथ्वीराज चौहान शूरवीर होते हुए भी
छला गया ,

पांडव युद्ध जीतकर भी अपनों के
कर्मो से हार गए ,
गांधी अंग्रेजों से जीतकर भी अपनों द्वारा
मार दिए गए ,

इंसान जो अपना सब कुछ अपनों पर
क़ुर्बान कर देता है ,
वही अपना अपने स्वार्थ के लिए अपनों को
जीते जी मार देता है।

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 46 Views
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