अपने सुख के लिए, दूसरों को कष्ट देना,सही मनुष्य पर दोषारोपण
अपने सुख के लिए, दूसरों को कष्ट देना,सही मनुष्य पर दोषारोपण करना, सर्वथा अनुचित है क्योंकि सुख और समृद्धि में वृद्धि तभी संभव है जब कर्म में कल्याण का भाव हो!
“मौज”
अपने सुख के लिए, दूसरों को कष्ट देना,सही मनुष्य पर दोषारोपण करना, सर्वथा अनुचित है क्योंकि सुख और समृद्धि में वृद्धि तभी संभव है जब कर्म में कल्याण का भाव हो!
“मौज”