*अपने शहर का आज का अखबार देखना (हिंदी गजल/गीतिका)*
अपने शहर का आज का अखबार देखना (हिंदी गजल/गीतिका)
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( 1 )
दुश्मन का जब भी वार धारदार देखना
अपने शहर का आज का अखबार देखना
( 2 )
बाहर निकल के मास्क से मुख को बिना ढके
लोगों को मूर्ख घूमते बाजार देखना
( 3 )
घर के बुजुर्ग थोड़ा-सा घर में रखा करो
वरना पड़े न उनको भी बीमार देखना
( 4 )
अपनों को अपने आप ही परखेगी जिंदगी
मुश्किल का आए दौर तो व्यवहार देखना
( 5 )
आँखें जो बंद करके डूब ध्यान में गए
उनको मिलेंगे कैसे निराकार देखना
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451