अपने पराए
उनके ख़तों को जलाकर देख लिया ,
उनकी यादों को भुलाकर देख लिया ,
उनकी तस्वीर को छुपाकर देख लिया ,
दिल से उनका एहसास मिटता नहीं ,
ज़ेहन में जो बसी उनकी तस्वीर मिटती नहीं ,
आंखों में नींद नहीं उनके ख्व़ाब पलते हैं ,
सारी-सारी रात हम बेचैन करवट बदलते रहते हैं,
लगता है वो दिलो जाँ से बढ़कर रूह में समाए हैं
अब हमें इल्म़ हुआ वो किस क़दर अपने हैं ,
जिन्हें हमने समझा था के हो गए पराए हैं ।