Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Aug 2024 · 1 min read

अपने जीवन में समस्या को समझने के बजाय, हम उसकी कल्पना करके उ

अपने जीवन में समस्या को समझने के बजाय, हम उसकी कल्पना करके उसे और अधिक जटिल बना देते हैं। – रविकेश झा

71 Views

You may also like these posts

जो व्यक्ति आपको पसंद नहीं है, उसके विषय में सोच विचार कर एक
जो व्यक्ति आपको पसंद नहीं है, उसके विषय में सोच विचार कर एक
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
- प्रेम के पंछियों को सिर्फ प्रेम ही दिखता है -
- प्रेम के पंछियों को सिर्फ प्रेम ही दिखता है -
bharat gehlot
रक्त के परिसंचरण में ॐ ॐ ओंकार होना चाहिए।
रक्त के परिसंचरण में ॐ ॐ ओंकार होना चाहिए।
Rj Anand Prajapati
दरसण करवां डोकरी, दर पर उमड़ै भीड़।
दरसण करवां डोकरी, दर पर उमड़ै भीड़।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
देहाती कविता
देहाती कविता
OM PRAKASH MEENA
*मौका जिस क्षण भी मिले, भर लो विहग उड़ान (कुंडलिया)*
*मौका जिस क्षण भी मिले, भर लो विहग उड़ान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ"
Dr. Kishan tandon kranti
उठाएँगे
उठाएँगे
Kunal Kanth
मातृशक्ति का ये अपमान?
मातृशक्ति का ये अपमान?
Anamika Tiwari 'annpurna '
बेबसी!
बेबसी!
कविता झा ‘गीत’
दिल
दिल
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बेटी की लाचारी
बेटी की लाचारी
Anant Yadav
दिनकर/सूर्य
दिनकर/सूर्य
Vedha Singh
"संघर्ष पथ पर डटे रहो"
Ajit Kumar "Karn"
सपनों की उड़ान
सपनों की उड़ान
meenu yadav
लड़की को लड़ना होगा
लड़की को लड़ना होगा
Ghanshyam Poddar
2851.*पूर्णिका*
2851.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सोच-सोच में फर्क
सोच-सोच में फर्क
Ragini Kumari
वीरों की धरती......
वीरों की धरती......
रेवा राम बांधे
दुःखद चुटकला। joke
दुःखद चुटकला। joke
Priya princess panwar
ब्राह्मण
ब्राह्मण
Sanjay ' शून्य'
*लंक-लचीली लोभती रहे*
*लंक-लचीली लोभती रहे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अभी कुछ बरस बीते
अभी कुछ बरस बीते
shabina. Naaz
माई
माई
Shekhar Chandra Mitra
#तेवरी / #ग़ज़ल
#तेवरी / #ग़ज़ल
*प्रणय*
कभी-कभी दुख नदी के तेज बहाव की तरहा आता है ऐसे लगता है सब कु
कभी-कभी दुख नदी के तेज बहाव की तरहा आता है ऐसे लगता है सब कु
पूर्वार्थ
एक पल
एक पल
Meera Thakur
वटसावित्री
वटसावित्री
Rambali Mishra
पिता
पिता
sushil sarna
गृहिणी तू
गृहिणी तू
Seema gupta,Alwar
Loading...