अपने को गिराया
है इनसान आज तक तुम्हें शरम न आई ।तेरे करमो से धरा अकुलाई ।इनसान होकर भी तु इनसान न बन पाया।कया कहू अब ।।।।।।तुम्हें मां का दूध लजाया ।धिकका र हैं तुझे लानत है तुझे ।निज सवाथँ के कारन अपने को नीचे गिराया।
है इनसान आज तक तुम्हें शरम न आई ।तेरे करमो से धरा अकुलाई ।इनसान होकर भी तु इनसान न बन पाया।कया कहू अब ।।।।।।तुम्हें मां का दूध लजाया ।धिकका र हैं तुझे लानत है तुझे ।निज सवाथँ के कारन अपने को नीचे गिराया।