अपने अंदर
अपने अंदर डूब जा,
ज़रा झाँक अपने अंदर,
आक्रोश के अलावा और बहुत कुछ है समाया,
मनन कर, हो सके तो विषय-विकारों का तू दमन कर,
हृदय मैं समायी कोमल भावनाओं का तू वरण कर,
है दया, ममता और करुणा भी तुझ में,
हो सके तो इन्हें प्रफुलित कर नमन कर,
ज़िंदा रख अपने अंदर के बच्चे को,
ज़िंदा रख आत्मा को अपनी,
अपने अंदर छुपे रावण को दफ़्न कर