अपनी धरती कितनी सुन्दर
अपनी धरती कितनी सुन्दर,
कितना सुंदर वन उपवन यहाँ,
हरे- भरे पेड़ और पौधे,
हरियाली इसकी है शान।
अपनी धरती कितनी सुन्दर,
ऊँचे पर्वत शिखरे अपार,
जहाँ होते है मेघों का दीदार,
पार्वतमालाएं धरा का अभिमान।
अपनी धरती कितनी सुन्दर,
जहाँ मौसम के कई बहार,
वर्षा , गर्मी – सर्दी का प्यार,
वसंत ऋतु धरा में खुशहाल।
अपनी धरती कितनी सुन्दर,
सागर नदियाँ झील सरोवर,
तरोताज़ा करते धरती का मन,
जल धरा का अभिन्न अंग।
अपनी धरती कितनी सुन्दर,
वन्य जीव और पशु-पक्षी,
कोलाहल करते भरते सुर,
प्राणी है धरा का अभूषण।
🙏 बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।