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31 May 2024 · 1 min read

अपनी ताकत को कलम से नवाजा जाए

अपनी ताकत को कलम से नवाजा जाए

अपनी ताकत को कलम से नवाजा जाए,
हर बात मयस्सर होती कहां जमाने में ।

जरूरत आएगी तो हो जाएंगे रुखसत ;
क्यों लगे हो इस दुनिया को आजमाने में ।।

खुदा ने बख्शी है तुमको सौगात निराली;
झांको को तो सही जरा अपने खजाने में ।

मिट्टी के घर हैं और आंधियों का दौर है
फिर भी लगे हुए हैं आशियाना बनाने में ।।

खुद से रूबरू देखो तुम्हारे जैसा कौन है,
सदियां बीत रही खुद को बेहतर बनाने में।

हटाओ पर्दे ; ताकत याद दिलाओ उसकी,
सिंह क्यों झुक गया गीदड़ के आशियाने में।।

सर उठाओ , और अपनी खुद्दारी भी रखो ;
क्यों लगे हो यार दर-दर सर झुकाने में।

क्यों जरूरत है तुमको सभाओं के आलम की
क्या अजब मजा है अकेले में मुस्कुराने में ।।

☑कवि दीपक बवेजा सरल

Language: Hindi
65 Views
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