अपनी किस्मत में क्या लिखा जाने
अपनी किस्मत में क्या लिखा जाने
फ़ैसला वक़्त का ख़ुदा जाने
उसको ग़लती पे क्यों सज़ा दे दी
वो है नादां शऊर क्या जाने
ये ज़माना कहे बुरा बेशक़
वो तो लेकिन मुझे भला जाने
कोई बतलाए या न बतलाए
मेरी ख़ुश्बू फ़क़त हवा जाने
आज तक दोस्त भी मेरे मुझको
जितना जाने मगर ज़रा जाने
चल पड़ा हूँ मगर कहाँ मुझको
जाएगा ले के रास्ता जाने
और कब तक वफ़ा करेगी यूँ
ज़िन्दगी मुझसे कोई क्या जाने
कशमकश उलझनें मुसीबत हैं
आएगी काम कब दुआ जाने
देखकर आइना वो रोते हैं
देख फ़िर क्या लिया ख़ुदा जाने
ये भी ‘आनन्द’ की तरह जलता
आँधियों को चराग़ क्या जाने
– डॉ आनन्द किशोर