अपना ही तो कमाया खाते हैं हम __ गजल / गीतिका
खाते पीते खानदान से आते हैं हम।
अपना ही तो कमाया खाते हैं हम।
गम दुख अपने पास रखो, हम पर ही विश्वास रखो।
वादे जो करते सदा निभाते हैं हम।।
मजदूर हो मजबूर हो, टूटे छप्पर में तपते रहो।
आलीशान हवेली एसी में सो जाते हैं हम।।
तुम दाता हो हमारे भाग्य विधाता हो।
समय समय पर आपके पास आते हैं हम।।
गरीबी बीमारी बेकारी हे हथियार हमारे।
इन्हीं के बल पर तो जिंदा रह पाते हैं हम।।
किस्से कहानियां हमारी ही सुनते सुनाते रहना।
बिजनेस यही अपना, चलाना चाहते हैं हम।।
“””””राजेश व्यास अनुनय”””””