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6 May 2019 · 1 min read

अपना हाथ जगन्नाथ (कविता)

इन हाथों की किमत उस मजदूर से
ज्यादा कौन समझ सकता है
जो दो वक्त की रोटी के लिए
ईंटे ढोकर, कोयले की खदान में
मेहनत कर रोजी-रोटी कमाता है

हमें शुक्रियादा करना चाहिए
उस महान ईश्वर का सदा
जिसने हमें हर कार्य करने के लिए
दो हाथ तो प्रदान किए हैं

अपने हाथ सही सलामत हैं
तो हम किसी के गुलाम नहीं बन सकते
मेहनतकश लोग इन्हीं हाथों की
बदोलत हर वो काम कर दिखलाते हैं
फिर नामुमकिन काम भी मुमकिन हो जाता है

अपने हाथों की समझो कीमत
उनको रखो सही-सलामत
सकारात्मक रखो हर कदम

सुबह-सुबह इन कमल रूपी
हाथों को देकर धन्यवाद
करो काम की शुरुआत
लेकर प्रभु का नाम
इस उम्मीद के साथ
मिले सफलता यथार्थ

Language: Hindi
2 Likes · 323 Views
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