अपना साया ही गर दुश्मन बना जब यहां,
अपना साया ही गर दुश्मन बना जब यहां,
गैरों से हम शिकवा भला क्या करें !
चाक दामन सियें कभी तो कभी आहें भरें,
रोएं न अपनी किस्मत पर तो क्या करें ?
अपना साया ही गर दुश्मन बना जब यहां,
गैरों से हम शिकवा भला क्या करें !
चाक दामन सियें कभी तो कभी आहें भरें,
रोएं न अपनी किस्मत पर तो क्या करें ?