“अपना संविधान”
“अपना संविधान”
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अब, ना वेद,
ना ही पुराण,
ना बाईबल,
ना ही कुरान,
सबसे बड़ा,
अपना संविधान।
संविधान का,
देखो खेल,
ज्ञानी बेचे तेल,
अज्ञानी पढ़े ,
अब फारसी,
तुम मानो या
ना ही मानो,
हाथ कंगन को,
क्या आरसी।
.. ✍️ पंकज “कर्ण”
……… कटिहार।।