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13 Feb 2017 · 1 min read

अपना वजूद बना के रखो

अपना वजूद बना के रखो
अपना रूतबा बना के रखो
कायर न बनो न बनने दो
अपनी सांस में मुझ को बसा के रखो !!

धड़कन धडकती है बस तेरे लिए
सांस भी नाम लेती है तेरे लिए
तुझ को मिलने का दिल करता है
ओ हम सफर, अपनी तुम आस बंधा के रखो !!

कभी तो मिलेगा वो समां
जब मुद्दत के बाद होगी मुलाकात
गुजारिश है उस खुदा से उस के लिए
उस वक्त की इन्तेजार दिल में बसा के रखो !!

अजीत तलवार
मेरठ

Language: Hindi
224 Views
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