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9 Mar 2019 · 1 min read

अपना नजरिया

चलो आज
अपने नज़रिए की
खिडकी के कांच साफ़ करते है

बचपन मे यह
खिड़की की कांच कोरी
साफ़ सुथरी थी

गलत मान्यताएं
कटु अनुभव, अपेक्षाओं ने
कांच को मटमैला कर दिया

आज इसे साफ करते है
कुछ नई आदतें बनाते है
कुछ पुरानी आदते छोड़ते है

कुछ ध्यान करते है
कुछ मनन करते हैं
आज ही नज़रिए की खिड़की
साफ करते है

संकल्प के साथ
असंभव, संभव हो जाता है
आज नई दृष्टि से संसार को देखें
अपना कांच साफ करें…

– प्रो.दिनेश किशोर गुप्ता ( आनंदश्री )

Language: Hindi
1 Like · 545 Views
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