अपना घर किसको कहें, उठते ढेर सवाल ( कुंडलिया )
अपना घर किसको कहें, उठते ढेर सवाल ( कुंडलिया )
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अपना घर किसको कहें , उठते ढेर सवाल
मैका भी अपना नहीं, अपनी कब ससुराल
अपनी कब ससुराल, अधर में लटकी नारी
घर ज्यों एक सराय , रह रही है बेचारी
कहते रवि कविराय , हमेशा रहता सपना
पैदाइश के साथ, अंत तक कब घर अपना
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451