Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jul 2022 · 1 min read

अपना कंधा अपना सर

अपने कंधे पर सर रखकर, आप कभी भी सो नहीं सकते।
और खुद अपने को गले लगाकर,जीवन में तुम रो नहीं सकते।।
एक दूजे लिए जीयें जो हम,तो उसे कहते हैं जीना जिंदगी।
लेकिन वक्त उसी को देना,जो चाहे तुमसे निभाना बंदगी।।
याद रख्खो ये सच्चे रिश्ते,कभी पैसे के मोहताज नहीं होते।
ये कभी भी मुनाफा नहीं देते,फिर भी जीवन अमीर बना हैं देते।।
अपनी खुशियां बाँट लो इनसे,इनके दुःख में खड़े रहो तुम।
लड़ो झगड़ो चाहे जितना इनसे,पर अंत में साथ ही खड़े रहो तुम।।
ऐसे रिश्ते पाने की खातिर तुमको,कठिन डगर पर जाना पड़ता है।
कांटों में से उलझ उलझ कर,चुन कर सुंदर गुलाब लाना पड़ता है।।
यूँ तो रिश्ते बने बनाये तुमको, माँ की कोख से ही मिल जाते हैं।
किंतु जरा तुम सोच के देखो,कितने उनमें से निभ पाते हैं।।
लाभ हानि है जहर रिश्तों में,इसको बीच में आने ना देना।
गुस्से में कही गई बात हमेशा,कड़वा घूंट समझ कर पी तुम लेना।।
कहे विजय बिजनौरी रिश्ते निभाना,नहीं तेरी मजबूरी है।
फिर भी रिश्तों में बंध कर रहना,जग में सबके लिए जरूरी है।

विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी

Language: Hindi
6 Likes · 3 Comments · 329 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from विजय कुमार अग्रवाल
View all
You may also like:
यह दुनिया समझती है, मै बहुत गरीब हुँ।
यह दुनिया समझती है, मै बहुत गरीब हुँ।
Anil chobisa
3753.💐 *पूर्णिका* 💐
3753.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी में आपका वक्त आपका ये  भ्रम दूर करेगा  उसे आपको तकलीफ
जिंदगी में आपका वक्त आपका ये भ्रम दूर करेगा उसे आपको तकलीफ
पूर्वार्थ
"रिश्तों का विस्तार"
Dr. Kishan tandon kranti
Rap song 【4】 - पटना तुम घुमाया
Rap song 【4】 - पटना तुम घुमाया
Nishant prakhar
"" मामेकं शरणं व्रज ""
सुनीलानंद महंत
प्रभात वर्णन
प्रभात वर्णन
Godambari Negi
బాలాత్రిపురసుందరి దేవి
బాలాత్రిపురసుందరి దేవి
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
महानिशां कि ममतामयी माँ
महानिशां कि ममतामयी माँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जय माँ ब्रह्मचारिणी
जय माँ ब्रह्मचारिणी
©️ दामिनी नारायण सिंह
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
जो चीजे शांत होती हैं
जो चीजे शांत होती हैं
ruby kumari
विरक्ती
विरक्ती
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
एक  दोस्त  ही  होते हैं
एक दोस्त ही होते हैं
Sonam Puneet Dubey
अब ना होली रंगीन होती है...
अब ना होली रंगीन होती है...
Keshav kishor Kumar
अद्भुत प्रेम
अद्भुत प्रेम
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
सपना
सपना
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
कोई ना होता है अपना माँ के सिवा
कोई ना होता है अपना माँ के सिवा
Basant Bhagawan Roy
साइस और संस्कृति
साइस और संस्कृति
Bodhisatva kastooriya
प्रीत निभाना
प्रीत निभाना
Pratibha Pandey
दो अपरिचित आत्माओं का मिलन
दो अपरिचित आत्माओं का मिलन
Shweta Soni
*बस एक बार*
*बस एक बार*
Shashi kala vyas
*ज्ञानी (बाल कविता)*
*ज्ञानी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
सुलगती आग हूॅ॑ मैं बुझी हुई राख ना समझ
सुलगती आग हूॅ॑ मैं बुझी हुई राख ना समझ
VINOD CHAUHAN
जिस्मों के चाह रखने वाले मुर्शद ,
जिस्मों के चाह रखने वाले मुर्शद ,
शेखर सिंह
मुझे भी तुम्हारी तरह चाय से मुहब्बत है,
मुझे भी तुम्हारी तरह चाय से मुहब्बत है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
GM
GM
*प्रणय*
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
एक पेज की कीमत उससे पूछो जिसका एडमिट कार्ड खो जाए, टिकट खो ज
एक पेज की कीमत उससे पूछो जिसका एडमिट कार्ड खो जाए, टिकट खो ज
Rj Anand Prajapati
Loading...