अपनापन
दिखते नहीं हैं पर,दिल महसूस करता है,
कुछ हालात होते है,कुछ जज़्बात होते है,
जिनके होने की कीमत को,केवल मन समझता है|
जिनसे दिल के रिश्ते है,उन्ही से दूरियां भी है,
इच्छाएं बढती जाती है,उम्मीदें जड पकड़ती है,
शब्दों की गणित को तो,केवल छल समझता है|
अपनेपन की परिभाषा,सबकी अपनी-अपनी है,
कुछ शोध से गढते ,कुछ अज्ञान का प्रतिफल,
कोई कितना अकेला है,ये खुद वो ही समझता है|
प्रिया खरे|12/12/19