अपनाना है तो इन्हे अपना
अपनाना है तो इसे अपना
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माता-पिता को अपनाओ
जिसने रंगीन दुनिया दिखाई
अपनाना तो भाई बहनअपना
दोनों हो सुख-दुख में साथी
बचपन खेला एक साथ पढ़ा
लिखा मां पिता घर द्वारे से
जीवन सपना संजोया भी
मां के नीले अंबर आंगन में
हँसते हँसते घर बसाया दोनों
अपनाना तो बहन भाई अपना
पढ़ लिख स्कूल पाठशाला
आश्रम में योग्य हो होदा पाया
अपनाना हो तो गुरु आचार्य
जिसने इस लायक बना संसार
में जीने का सुंदर राह दि दिखाया
अपना ना हो तो उस मिट्टी को
जहां जीवन का पहला आहार
समाज जहां समाजिकता धर्म
नें वतन से प्यार करना सिखाया
मिट्टी खातिर जहां वीरो ने प्राण
गमाया शहादतों से परंतत्रता को
मार स्वतंत्रता पा भारत माता की
विंदिया को चमकाया जिसनें
निज चुनरी मलमल चादर से
कदमों नीचे कालीन सी बिछा
सकुन सुखद राह बनाया है
अपनाना हो मातृभूमी को
हॅस खुश प्यार से भारत
अभिमान बढ़ाना सीखो
प्यार दिल फूलों को मुरझाने ना
देना मुरझा हुआ खिलता नहीं
जीवन बीता गाँवो में पर प्यार
वसा तेरे दिलो में प्रेम प्यारी
कनक कंचनी कजरी नयनी
फेरे सात ले जिसने संग जीने
मरने अटल एक कसमें वादे की
हँसना है तो इसे अपना कर हँसो
मधुर जीवन एक अरमान बना
अपनाना है तो कला जीने की
अपना सपना पूरा कर जीओ
जग जीवन इतिहास बनो ॥
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तारकेश्वर प्रसाद तरूण